वृद्धावस्था एक ऐसी अवस्था है जो ज़िन्दगी का आख़री पड़ाव है जैसे हम किसी यात्रा पर निकले और जब यात्रा पूरी करके हम घर लौटने वाले होते है घर से कुछ दूर होते है यह वक़्त और वृद्धावस्था का वक़्त सामान होता है ।
इस अवस्था में व्यक्ति ऐसे हीे नहीं पहुँचता यहाँ तक पहुँचते पहुँचते ज़िन्दगी के बहुत से उतार चढ़ाव देखता है अपनी औलाद पालता है पैसा कमाता है समाज की बुराईयों अच्छाइयों से रूबरू होता है । शायर जनाब इक़बाल अज़ीम साहब ने यूँ कहा है -
ज़माना देखा है हम ने हमारी क़द्र करो
हम अपनी आँखों में दुनिया बसाए बैठे हैं
लेकिन कुछ दिनों के लड़के कुछ लड़के चंद डिग्री या कोई पद मिलने के बाद इन्ही बुजर्गो के बुज़ुर्ग बनने की कोशिश में लग जाते है यह ऐसा है जैसे अपने गुरु को सबक देना । हमें अपने बुजर्गो का आदर सम्मान करना चाहिए , यही इंसानियत है ।
✒ आसिफ कैफ़ी सलमानी
Written By - Asif Kaifi Salmani
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