समाज सेवा और राजनीति ये दो ऐसी चीज़े है जो अक्सर साथ साथ रहते है समाज सेवा समाजसेवक और राजनीति नेता करते है यह और बात है कि समाजसेवक राजनीति करने लगते है और नेता अक्सर समाजसेवा की बात करते है ।
एन जी ओ (गैर सरकारी संस्था) बनाकर शुरू में बहुत बड़े बड़े वादे किये जाते है , लेकिन फिर उसी संस्था का थोडा सा नाम होते ही राजनीति में उतर जाते है हालांकि सभी एन जी ओ ऐसी नहीं होती कुछ वाकई में समाज सेवा करते है "निस्वार्थ" मन से ,यहाँ निस्वार्थ शब्द झूंठा नहीं सच्चा प्रयोग कर रहा हूँ क्योंकि माफ़ करना यह शब्द तो सभी सामाजिक संस्था करती है लेकिन कुछ सच्चा प्रयोग करते है कुछ झूंठा ।
कुछ संस्था के रहनुमा मानते है कि राजनीति के बिना समाजसेवा हो ही नहीं सकती और कुछ नेता मानते है की बिना समाज सेवा के राजनीति हो ही नहीं सकती, मैं दोनों की बात से सहमत हूँ लेकिन अक्सर इसका मतलब कुछ और ही होता है कुछ समाजसेवा करने वाले पूरी तरह राजनीति करते है और राजनीति करने वाले किसी भी तरह की समाज सेवा नहीं करते ।
बिना राजनीति के समाज सेवा बिल्कुल हो सकती है लेकिन बिना समाज सेवा के राजनीति बिल्कुल नहीं हो सकती चाहे दिखावे के लिए ही क्यों न करें । समाज सेवा आस्था से की जाती है और राजनीति मैं ये नहीं कहूँगा की अनास्था के साथ की जाती है लेकिन कुछ करते है ।
समाज सेवा आत्मसंतुष्टता के लिए की जाती है वाह वाही, सत्ता या नाम चमकाने के लिए नहीं और अगर वाह वाही और सत्ता चाहिए तो किसी राजनीतिक पार्टी के साथ जुड़ जाओ वहां समाजसेवा का ढकोसला करलो वहां ज़रुरत होगी ढ़ोंग की , सामाजिक संस्था में रह कर समाजसेवा करने का ढोंग क्यों ?
✒ आसिफ कैफ़ी सलमानी
Written By - Asif Kaifi Salmani
1 Comments
Bilkul
ReplyDeleteYe ek kadwa sach hai jise jaldi se accept nahi kiya Jaata
Lekin isse munh bhi nahi phera ja sakta
Aap ne umda tareeqe se ise bayaan kiya
Dili mubarak Baad