एक रिश्ता पति पत्नी का, मैं इस रिश्ते को अजीब रिश्ता समझता हूं क्योंकि इस के ऊपर कितने जोक बनते इसे हँसी का पात्र बनाया जाता है इस रिश्ते के सहारे ज़िन्दगी काटी जाती है यह रिश्ता खट्टा भी है और मीठा भी है इसमें कही पति पत्नी से डरता है कही पत्नी पति से डरती है इसी से दुनिया आगे बढ़ती है चलो सबसे पहले इसके बनने का तरीका बताते है वो भी अजीब है कैसे एक अलग परिवार एक दूसरे अलग परिवार से मिलता है एक दूसरे से मिलते है इस रिश्ते के बनने से पहले हीे फिर बात आती है पसन्द न पसन्द की हमारी सभ्यता तो यही है अब अगर बिना दो परिवारों के मिलन से पहले लड़का लड़की खुद न पसन्द करने लगे और फिर बिना शादी के शादी वाले काम करने लगे तो आधुनिकता है दरअसल यह आधुनिकता के नाम पर समाज पर कलंक है खैर छड्डो जी अग्गे दियां गल्ला ता सुनो फिर अपनी सभ्यता पर ही आते है तो लड़का लड़की पसंद के बाद रिश्ता सगाई मंढा शादी बारात निकाह फेरे विदाई रिसेप्शन, वलीमा आना जाना यह वो अब इन सब काम में ज़्यादा से ज़्यादा समय लगा एक साल का इसके बाद अब बन गया यह रिश्ता धर्म कोई सा सब मे बनता है यह रिश्ता ।
पति पत्नी बन गए मतलब समझ रहे हो न ज़िन्दगी के राहों के हमसफ़र, संगनि, अब यह एक दूसरे के हमसफ़र रहते भी है और नहीं भी जो नहीं रहते उनको छोडो रहते जो रहते है उनकी बात करते है अब शुरू होती है ज़िन्दगी की दूसरी पारी यानी सेकेंड इनिंग शुरू अब एक से दो हो गए मैं शादी शुदा लोगों का तज़ुर्बा साझा कर रहा हूँ एक के एक नहीं एक दो हो चुके मतलब मैं से हम, मैं एक नहीं हम दो हो चुके अब हमारे दो होगे । यह शुरूआत अब यह पारी ट्रैन की मानिंद बहुत सी परिस्तिथियों से गुज़रती हुई गीता और क़ुरआन पढ़नेे लगे अपने स्टेशन पर पहुँचती है, स्टेशन पर पहुँचने तक इस दूसरी पारी रूपी ट्रैन को चलाने के लिए दूसरे ड्राइवर तैयार हो जाते है ।
अब जो हमारे दो हुए थे वो बड़े हो चुके होते है अब ज़िन्दगी के ड्राइवर वो बन चुके होते है कुछ तो मुहब्बत से चलाते है कुछ उन्ही मां बाप को जिन्होंने अपनी पूरी सेकेण्ड पारी उन्ही के लिए ख़त्म करदी अब उन्हें बुरा भला कहते है उन्हें कुछ नहीं समझते नहीं नहीं समझो के पुत्तरो समझोगे उस दिन समझोगे जद्दो तुहाड्डे पुत्तरां तुहाड्डे नाल एही बर्ताव करांगे ।
खैर पति पत्नी पूरी ज़िन्दगी एक दूसरे के साथ बिताते है दर्द भी साझा करते है ख़ुशी भी एक दूसरे को बुरा भी कहते है और एक दूसरे को भला भी कहते है मुझे बार बार एक चीज़ याद आ रही है एक आदमी का रोता हुआ चेहरा एक दो साल बाद ही उसकी पत्नी का देहांत हो गया था आज उसे उसकी याद बातों बातों में आयी और वो किसी बच्चे की तरह रो दिया था है न अजीब रिश्ता कुछ साल का रिश्ता जन्मो का सा हो गया होगा तभी तो इतनी हमदर्दी लेकिन कैसे हुआ अंजान मिले और फिर जन्मो के जाने पहचाने एक दो साल में ।
✒ आसिफ कैफ़ी सलमानी
Written By - Asif Kaifi Salmani
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