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देश के सुरक्षा प्रहरी


देश जिस वजह से सुरक्षित रहता है वो वजह होती है उस देश के सैनिक मैं यहाँ सिर्फ सैनिकों की ही बात नही करूँगा यहाँ बात राजनेताओं, धर्म और राजनैतिक पार्टियों की भी होगी और बात होगी ढकोसलों और झूठे वादों की और सैनिकों की बेहाली की ।
          सैनिक हमेशा से होते है चाहे वो लोकतांत्रिक राज्य हो तानाशाही हो या कोई और सा शासन हो, राजा हो, नवाब हो, कोई कंपनी का राज हो, प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति हो सभी देशों के पास सैनिक होते है क्योंकि वो ही उस देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते है।
           हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है यहां भी बहुत से सैनिक है जवान है जो हमारे देश की बाहरी और भीतरी सुरक्षा प्रदान करते है एक बात है जो हम सभी जानते है कि सीमा के प्रहरी हो या भीतर के समय समय पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए सैनिक शहीद होते रहे है यह बात पढ़ने में आसान लग सकती है सुनने में आसान लग सकती है लेकिन जब यह घड़ी महसूस की जाती है या किसी के ऊपर गुज़रती है तब इसकी हक़ीक़त का अंदाज़ा मालूम होता है तब निंदा के साथ साथ खून भी खौलता है जैसा कि लोकतांत्रिक देश का यह अहम नियम है कि वक़्त वक़्त पर सरकार बदलती है सत्ता में आने के लिए राजनैतिक पार्टियां बड़े बड़े वादे करती है सैनिकों पर भी वादे होते है एक के बदले दस सिर काटकर लाने की बात होती है लेकिन यह वादे अक्सर फुस्स होते नज़र आते है।
           आज देश में एक अलग ही प्रकार का माहौल बना हुआ है जो किसी एक धर्म विशेष से सम्बंधित होता है उसको मीडिया, एक खास राजनैतिक पार्टी, उसके सड़कछाप नेता और कुछ भांड गायक, कलाकार कुकुरमुत्तों की तरह उगकर निंदा करने आ पहुंचते है मैं कहता हूं अगर तुम इंसान हो और तुम्हारे अंदर इंसानियत ज़रा सी बाकी है तो गलत के आधार पर निंदा की जाए ।
           अब वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुए नक्सल हमलों पर नज़र डालते है -         
24 अप्रैल 2017: छत्‍तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीफ की पैट्रोलिंग पार्टी पर नक्‍सलियों के हमले में कम से कम 26 जवान शहीद हुए। 6 जवान घायल हुए।
12 मार्च, 2017: सुकमा में माओवादियों के साथ मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हुए।
1 दिसंबर 2014: माओवादियों ने सुकमा जिले में सीआरपीएफ पर हमला किया। 13 जवान शहीद हुए।
इन तीन हमलों में लगभग 63 जवान शहीद हुए यह हमले देश के अंदर के देश के लोगों द्वारा किये गए है इसलिए यह और भी अफसोसजनक है सीमा पर तो जवान शहीद हो ही रहे है
मैं एक ग्रुप की बात शेयर करना चाहूंगा जिस दिन अभी 5 राज्यों के चुनाव परिणाम आये उस दिन भी 24 सैनिक मार दिए गए तो जैसे ही यह खबर आई मैंने उस ग्रुप में साझा की जहां पार्टी को पूर्ण बहुत मिलने पर उसके कार्यकर्ता खुशी मना रहे थे, जीत की खुशी में मदमस्त और चूर थे मेरी इतनी दुःखद खबर साझा करने के बावजूद वो सब रुकना तो बड़ी बात है किसी ने उस पर दुःख तक प्रकट नही किया जिन सैनिकों का नाम नोटबंदी मे उपयोग कर रहे थे और समय समय पर जोरजबरदस्ती के लिए इन जवानों का नाम प्रयोग करते आये है वो ही इन सैनिकों की शहादत पर कोई दुःख तक नही जता रहा है अब सवाल उठता है उनकी देशभक्ति पर उनके राष्ट्रवाद पर उनके सेना प्रेम पर पता नही इन सवालों के जवाब मिल पाएंगे या नही लेकिन जवान रोज़ जवाब दे रहे है डटकर दुश्मनों को मैं ऐसे जवानों को सलाम करता हूँ और उनसे प्रेरणा लेता हूँ पता नही कुछ लोग झूठी देशभक्ति दिखा कर एक धर्म विशेष पर उसके लोगों पर हमला करना कब बंद करेंगे या देश को गृहयुद्ध की तरफ धकेल कर ही सांस लेंगे ।
जय हिंद जय भारत,      जय जवान जय किसान
          ✒  आसिफ कैफ़ी सलमानी
       Written By - Asif Kaifi Salmani
    

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