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शिक्षक दिवस पर विशेष



भारत में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है और स्कूलों में या अन्य संस्थाओं द्वारा इस दिन शिक्षकों के योगदान को याद भी किया जाता है, और है भी याद करने वाला योगदान क्योंकि किसी भी छात्र को मंज़िल पता हो सकती है लेकिन शिक्षकों द्वारा दिए मार्गदर्शन से ही उस तक पहुंचने के रास्ते को पार करता है।

             वैसे मैंने ये लेख शिक्षक दिवस की जानकारी देने के लिए नहीं लिखा बल्कि मौजूदा हालात में शिक्षकों को दिया जाने वाले सम्मान के बारें में बात करने के लिए लिखा है दरअसल आज हम स्कूल और कॉलेज के मामले में खूब तरक्की कर रहें है, खूब फाइव स्टार होटलों जैसी सर्विस और सुविधा देने की कोशिश में है और एक चीज़ जी कंपल्सरी होती जा रही है वो है इंग्लिश कम्युनिकेशन वैसे मुझे इस वाली बात से कोई दिक्कत या परेशानी नहीं है बल्कि मुझे परेशानी इस बात है जब मातृभाषा को बिल्कुल दरकिनार कर दिया जाता है चलिए इसे भी छोड़िये बात यहाँ आती है कि जब छात्रों को अंग्रेज़ी तो सिखाई जा रहीं है लेकिन उनको तहज़ीब और शिष्टाचार नहीं सिखाया जाता और ये हाल ज़्यादातर अंग्रेज़ी माध्यम की 10, 11 और 12 कक्षा का है, मैं बहुत पुरानी बात नहीं करूँगा आप अगर सन 2005 तक के पढ़े हुए है तो आप बता सकते है कि किस तरह से स्कूल में शिक्षकों की इज़्ज़त की जाती थी उनके कमरे में आते ही फौरन सम्मान में खड़े होते थे, स्कूल में आने और जाने पर सलाम नमस्ते भी किया करते थे, कक्षा में अध्यापक के आ जाने पर शांत होकर उनकी बात सुनते थे लेकिन अब का अनुभव बहुत ख़राब है इन सब काम को या तो नहीं करते या मन मारकर करते है और ये अंग्रेज़ी माध्यम के अधिकतर स्कूलों का हाल है मतलब हमारे बच्चें पाश्चात्य संस्कृति और उनकी भाषा के जितने क़रीब जा रहें है उतनी ही दूर अपनी संस्कृति और अपनी भाषा से होते है जा रहें है वो तहज़ीब खोते जा रहें है जहाँ शिक्षकों का सम्मान दिल से किया जाता है और शिष्टाचार की शिक्षा दी जाती है ।

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